उत्तर प्रदेश जमींदारी अबोलिशन एवं लैंड रिफॉर्म्स एक्ट, 1950 के सेक्शन143 का एक खास फंक्शन है। संक्षेप में, यह सेक्शन किसी रीजन के सब-डिविज़नल मजिस्ट्रेट (SDM)/असिस्टेंट कलेक्टर को किसी भी प्लॉट के प्रकार और नेचर को कृषि भूमि से रेसीडेंशियल में बदलने का अधिकार प्रदान करता है।
जमीन के मालिक के निवेदन पर जमीन के नेचर और प्रकार में परिवर्तन किया जाता है। हालाँकि, मुख्य रूप से लेखपाल या राजस्व अधिकारी जमीन का सर्वे करते हैं और संबंधित एसडीएम/असिस्टेंट कलेक्टर को रिपोर्ट भेजते हैं। इस रिपोर्ट में तहसीलदार का समर्थन भी शामिल है। एक बार जब एसडीएम वेरिफाई कर देता है, तो जमीन को कनवर्ट करने के लिए सेक्शन143 के तहत एक घोषणा पारित की जा सकती है।
क्या सेक्शन 143 दाखिल खारिज से अलग है?
दाखिल खारिज या प्रॉपर्टी का म्यूटेशन सेक्शन 143 से अलग है। किसी भी गलत प्रॉपर्टी लेनदेन से बचने के लिए इसे राजस्व अधिकारियों से हर छह महीने में प्राप्त करना होता है। उत्तर प्रदेश में जमीन पार्सल खरीदने के लिए सेक्शन 143 और दाखिल खारिज के अन्तर्गत जमीन कनवर्जन अनिवार्य है। संभावित खरीदारों को हमेशा सेलर/ विक्रेता से लेटेस्ट म्यूटेशन कॉपी के लिए पूछना चाहिए। इस महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट की उपेक्षा करने से परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
सेक्शन 143 का क्या महत्व है?
सेक्शन 143 न केवल राज्य सरकार के नियमों के अनुसार जमीन के इस्तेमाल के स्टेट्स को कनवर्ट करने के लिए है। एक्ट में यह भी मेंशन है कि भूमिधरों के पास ट्रांसफर का अधिकार हैं। उत्तर प्रदेश फाइनेंशियल कॉरपोरेशन जैसे सरकारी बॉडीस से लोन लेने वाले भूमिधरों को उनकी लेंडहोल्डिंग्स की सुरक्षा के लिए कानूनी गाइडलाइन के अन्तर्गत पीछा नहीं किया जाएगा।
यह ध्यान रखना जरुरी है कि खेती की जमीन पर पूरे मालिकाना हक के बावजूद, राज्य सरकार से उपयुक्त अनुमति न मिलने पर रेसीडेंशियल प्रॉपर्टी को नहीं बनाया जा सकता है।
साथ ही, उपजाऊ कृषि भूमि का उपयोग कन्वर्जन करने के लिए अनुमति नहीं है। केवल बंजर या सूखी खेती की जमीन को ही रेसीडेंशियल प्लॉट्स में कनवर्ट किया जा सकता है। हालाँकि केवल किसान ही कई भारतीय राज्यों में खेती की जमीन खरीद सकते हैं, यह 2014 में उत्तर प्रदेश राज्य में बदल गया।
सेक्शन 143 के तहत जमीन के रजिस्ट्रेशन के लिए कौन से डॉक्यूमेंट्स आवश्यक हैं?
सेक्शन 143 के तहत जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए व्यक्ति को कई जरूरी डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है। डॉक्यूमेंट्स के निम्नलिखित सेट होने के बाद, निकटतम रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर सेक्टर 143 के तहत एक भूमि पार्सल को परिवर्तित किया जा सकता है। डॉक्यूमेंट्स की सूची में शामिल हैं:
· आइडेंटिटी का सर्टिफिकेट
· सेल डीड
· म्यूटेशन का डॉक्यूमेंट
· लैंड सर्वे मैप
· जमीन की रेवेन्यू फीस
· रिकॉर्ड ऑफ राइट्स एंड क्रॉप्स (RTC)
· पार्टीशन डीड (विरासत में मिली जमीन के मामले में)
सेक्शन 143 के क्या फायदे है?
उत्तर प्रदेश में जमीन खरीद में सेक्शन 143 के कई फायदे है जिनके बारे में यहां नीचे बताया गया है-
· उत्तर प्रदेश में सेक्शन 143 के तहत घोषणा पर जमीन पार्सल का उपयोग अन्य उद्देश्यों, जैसे घरों, बिजनेसिस, दुकानों या प्लॉट्स के लिए किया जा सकता है।
· किसी भी डेवलपमेंट रिलेटेड एक्टिविटी के लिए सरकार द्वारा जमीन अधिकृत (authorised) होने की स्थिति में पूरा मुआवजा लिया जा सकता है।
· एक बार सेक्शन 143 के तहत भूमि घोषित हो जाने के बाद, यह सुरक्षित रहती है, और किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई के बारे में चिंता का कोई कारण नहीं है।
· सेक्शन 143 के तहत घोषणा के बाद, जमीन पार्सल का उपयोग फिर से कृषि गतिविधियों (agricultural activities) के लिए नहीं किया जा सकता है।
सेक्शन 143 के न होने के क्या नुकसान है?
अगर कोई व्यक्ति अपनी जमीन का इस्तेमाल को बिना अनुमति के किस अन्य काम में करते है तो उस पर कानूनी मुकदमा हो सकता है। इसके अलावा उसे 3 साल की जेल और जुर्माना भी देना पड़ सकता है। अगर आपकी जमीन उपजाऊ है, इसके बाद भी आप इसको सेक्शन 143 में बदलवाना चाहते हैं तो जमीन परिवर्तित नही होगा। ऐसे में सरकार का मानना है कि आप अपने फायदे के लिए सोच रहे है।
अगर कोई खेती की जमीन पर बिना 143 करवाकर उस पर घर, प्लॉटिंग आदि करता है तो क्या वो वैध है?
अगर कोई खेती की जमीन पर बिना किसी 143 करवा कर उस पर घर, प्लॉटिंग आदि करता है तो वो कानूनन अवैध है। उसे इसके लिए 3 साल की जेल और जुर्माना भी चुकाना पड़ सकता है। राज्य सरकार द्वारा भूमि एक्ट 143 का सेक्शन इसलिए बनाया है ताकि वह अपनी जमीन को इस कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से जमीन को बदल सके और वहां पर कोई दूसरा काम कर पाए।
सबसेक्शन 1 के अन्तर्गत घोषणा (declaration) क्या है?
यदि संबंधित जमीन का इस्तेमाल खेती के अलावा अन्य चीजों या अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए किया जाना है, तो असिस्टेंट कलेक्टर या SDM रिपोर्ट की समीक्षा के बाद अपनी घोषणा प्रस्तुत कर सकते हैं। वे पूछताछ करने और एप्लीकेशन चेक करने के बाद ऐसा कर सकते हैं। एक बार घोषित होने के बाद, भूमिधर जमीन पर खेती या अन्य गतिविधियों जैसे मुर्गी पालन, मछली पालन और जानवरों का पालन नहीं कर सकता है। यदि सबसेक्शन 1 के अन्तर्गत घोषणा लैंडहोल्डिंग के केवल एक हिस्से के लिए लागू होती है, तो घोषित हिस्से को बताई गई गतिविधियों को करने की अनुमति दी जानी चाहिए। आधिकारिक रूप से घोषणापत्र प्रदान करने पर, भूमिधर पर फिर से ट्रांसफर किये जाने वाले जमीन अधिकार होने के प्रावधान लागू नहीं होंगे, और जमीन ट्रांसफर से संबंधित शासन व्यक्तिगत कानूनी ग्राउंड्स पर होगा।